The Single Best Strategy To Use For bhairav kavach

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डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।

भैरवं कवचं ब्रूहि यदि चास्ति कृपा मयि ॥ १॥

ವಿಚರನ್ ಯತ್ರ ಕುತ್ರಾಪಿ ವಿಘ್ನೌಘೈಃ ಪ್ರಾಪ್ಯತೇ ನ ಸಃ







लज्जाबीजं तथा विद्यान्मुक्तिदं परिकीर्तितम् ॥ ९॥

न चाप्नोति फलं तस्य परं नरकमाप्नुयात् ॥ २८॥

वैसे तो भैरव कवच का पाठ नित्य पूजा में बोलकर आसानी से किया जा सकता है, यदि कोई विशेष कामना हो, जैसे किसी तंत्र बाधा से रक्षा, परीक्षा में सफलता, चुनाव में विजय आदि तो इस विधि से भैरव कवच का पाठ करें।

here ಆಗ್ನೇಯ್ಯಾಂ ಚ ರುರುಃ ಪಾತು ದಕ್ಷಿಣೇ ಚಂಡಭೈರವಃ



सम्प्राप्नोति फलं सर्वं नात्र कार्या विचारणा।

ऊर्ध्व पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः।

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